Poultry Diseases : किसान बड़ी संख्या में पोल्ट्री व्यवसाय की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन जब पोल्ट्री व्यवसाय की बात आती है, तो मुर्गियों को कई तरह की बीमारियों का खतरा होता है। यदि इन खतरनाक बीमारियों पर जल्द उपाय या टीकाकरण नहीं किया गया तो बड़े पैमाने पर मुर्गियां मर जाती हैं, जिससे मुर्गीपालकों को भारी आर्थिक नुकसान होता है। इसलिए उपाय करना बहुत जरूरी है। यदि बीमार मुर्गियाँ और स्वस्थ मुर्गियाँ एक ही शेड में हैं, तो बीमार मुर्गियों को अलग रखा जाना चाहिए क्योंकि प्रसार जल्दी होता है। कुछ वायरल बीमारियों का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। इसलिए उचित प्रबंधन द्वारा संक्रमण को रोकना बहुत जरूरी है।
मुर्गियां अन्य जानवरों की तुलना में बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। आसपास के वातावरण में बैक्टीरिया, वायरस हमेशा मौजूद रहते हैं।मुर्गियाँ अलग-अलग उम्र में विभिन्न संक्रामक रोगों के प्रति संवेदनशील होती हैं। मुर्गियों में निमोनिया, पुलोरम, एफ्लाटॉक्सिन, टाइफाइड, पैराटाइफाइड, श्वसन संबंधी विकार, संक्रामक ब्रोंकाइटिस, देवी जैसी बीमारियों का संक्रमण देखा जाता है। बीमारियों से मुर्गियों का वजन घटता है, मृत्यु होती है। मुर्गियों को बीमारियों से बचाने के उपाय करना आवश्यक है। कुछ वायरल बीमारियों का कोई इलाज नहीं है। इसलिए उचित प्रबंधन द्वारा संक्रमण को रोकना बहुत जरूरी है।
चिकन शेड को अन्य पोल्ट्री फार्मों से दूर ऊंचाई पर बनाया जाना चाहिए। जंगली पक्षियों और अन्य जानवरों को शेड क्षेत्र में प्रवेश करने से रोका जाना चाहिए।
शेड की दीवारों के साथ-साथ फर्श को भी समय-समय पर कीटाणुरहित किया जाना चाहिए। जूतों को कीटाणुरहित करने के लिए शेड के दरवाजे के पास फुट बाथ बनाना चाहिए। खेत पर आने वाले व्यक्तियों, उपकरणों, वाहनों को रोगाणुरहित किया जाए, साफ-सफाई रखी जाए। सही समय पर टीका लगवाएं।
मुर्गी शेड वाले स्थान को फेन्सिंग लगाकर सुरक्षित किया जाना चाहिए।
दूषित खाने पीने के के बर्तनों से भी बीमारी फैलती है। इसलिए बर्तन हमेशा साफ होने चाहिए।
शेडो में उपकरणों को ईस्तमाल से पहले और बाद में कीटाणुरहित किया जाना चाहिए।
पशुचिकित्सक की सहायता से उचित उपाय किए जाने चाहिए। ताकि बिमारीया रुक जाए और कोई आर्थिक नुकसान न हो।