मौसम के हिसाब से हम हमारे खाने पिने में बदलावं करते है, बिल्कुल वैसे ही पशुओं के आहार में भी बदलाव करना आवश्यक है। योग्य आहार न मिलने पर दूध उत्पादन, दूध की गुणवत्ता और पशु स्वास्थ्य पर असर होता है। खास कर बरसात के मौसम में पशुओं का आहार व्यवस्थापन करना चाहिए। बरसात के मौसम में पशुओंको सुख चारा देना चाहिए। यदि मानसून के दौरान आहार प्रबंधन उचित नहीं है तो दूध उत्पादन और पशु स्वास्थ्य बिगड सकता है। बरसात के मौसम में पशुओं में दुग्ध ज्वर होने की संभावना अधिक होती है। इससे बचने के लिए पशुओं को क्षार नमकीन मिश्रण (salt solution) देना चाहिए। मानसून में हरा चारा बडे पैमाणे में उपलब्ध होता है। हरे चारे में 80 से 85 प्रतिशत पानी होता है, जिसकी वजह से पशुओं को शुष्क पदार्थ कम मात्रा में मिलता है। यदि पशुओं के आहार में हरा चारा अधिक शामिल किया जाए तो उसकी पाचन क्रिया ख़राब हो जाती है। पशुओं का गोबर पतला हो जाता है।
हरा चारा दूध की पैदावार बढ़ाता है, लेकिन दूध में फॅट, एसएनएफ और अन्य घटकों को कम करता है। मानसून के दौरान पशुओं को केवल हरे चारे की बजाय सूखे और हरे चारे का मिश्रण देना चाहिए। मानसून के दौरान सूखा चारा उपलब्ध होना चाहिए। बरसात के मौसम में सूखा चारा पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जनवरी से मार्च तक पशुओं के लिए सूखा चारा उपलब्ध रहता है। मानसून शुरू होने से पहले पशुपालकों को अपने पशुओं के लिए सुख चारा जमा कर लेना चाहिए।
मानसून में मौसम ठंडा रहता है, जानवरों को ठंड के मौसम में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऐसे समय में सूखे चारे से गाय और भैंसों को अपने शरीर को गर्म रखने के लिए ऊर्जा मिलती है। इसलिए में पशुओं के आहार में सूखा चारा शामिल करना चाहिए। साथ ही पशुओं के आहार में अतिरिक्त ऊर्जा देने वाले ऊर्जा युक्त पशु आहार जैसे मक्का , गेहूं और बाजरा का भुसा देना चाहिए। बरसात के मौसम में इसकी मात्रा आधा से एक किलोग्राम तक बढ़ानी चाहिए। इस प्रकार, पशुओं का दूध उत्पादन बढता है और पशुओं का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।