bamboo farming Subsidy : 2023 में मानसूनी बारिश कम रही। इसके चलते खरीफ सीजन में फसल उत्पादन में बड़ी गिरावट आई। सोयाबीन, कपास आदि महत्वपूर्ण फसलों से किसानों को अपेक्षित उपज नहीं मिली। इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन के समाधान के तौर पर कार्बन उत्सर्जन को कम करना होगा। इस बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ने कहा है कि अगर कार्बन उत्सर्जन की मात्रा कम करनी है तो बांस की खेती सबसे अच्छा विकल्प होगा।
जिस तरह से किसान आजकल खेती के नए-नए तरीके अपना रहे हैं, उसी तरह हमें भी खेती के नए-नए तरीके अपनाने चाहिए। पारंपरिक फसलों को छोड़कर बांस की खेती आपके लिए एक अच्छा विचार हो सकता है। इस खेती में आपको कुछ समय लगाना होगा, लेकिन फिर आप इससे अच्छा पैसा कमा सकते हैं।किसान अब बांस की खेती कर करोड़ों की कमाई कर सकते हैं। भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर खेती के लिए एक राष्ट्रीय बांस मिशन भी बनाया है। इसके तहत किसान को बांस की खेती के लिए प्रति पौधा 120 रुपये की सरकारी सहायता मिलेगी। साथ ही अब इसका इस्तेमाल भी बढ़ रहा है, ऐसे में आप इससे अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
बांस की खेती एक मौसम की खेती नहीं है, इसमें हमें काफी समय देना पड़ता है। बांस की खेती में लगभग 4 साल का समय लगता है। इसकी कटाई चौथे वर्ष में की जाती है। बांस के पौधे कुछ मीटर की दूरी पर लगाए जाते हैं। कई किसान इसकी खेती के साथ कुछ अन्य फसलें भी उगाते हैं जो आसानी से केंद्रीकृत हो जाती हैं। तीन साल में प्रति पेड़ औसत लागत 240 रुपये होगी। जिसमें से सरकार आपकी मदद करती है और बांस की खेती के लिए प्रति पौधा 120 रुपये देती है। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की है कि बांस की खेती गन्ने की खेती से अधिक लाभदायक है और इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा है कि बांस की खेती के लिए सरकार के माध्यम से 7 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की सब्सिडी दी जा रही है।