काले अमरुद खेती की बढ़ती डिमांड
भारत के विभिन्न क्षेत्रों के किसान अब काले अमरुद की खेती में उतर रहे हैं। यह अद्भुत फल विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्र में सिरमौर जिले के कोलार क्षेत्र के साथ-साथ बिहार के कई हिस्सों में लोकप्रियता हासिल कर रहा है। ब्लैक पेरू की खेती पर्याप्त रिटर्न का वादा करती है, जिससे यह लाभदायक उद्यम चाहने वाले किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन जाता है।
काला अमरुद कोई साधारण फल नहीं है। इसकी विशिष्ट विशेषताओं में गहरे लाल या काले पत्ते शामिल हैं, जो इसे दूसरे फलों से अलग करते हैं। प्रत्येक फल का वजन लगभग 100 ग्राम होने के कारण, काले अमरुद न केवल देखने में आकर्षक है बल्कि इसे उगाना बेहद सस्ता है। इसके अलावा, यह ठंडे क्षेत्रों में पनपता है, जो किसानों के लिए एक अच्छा अवसर प्रस्तुत करता है।
परंपरागत रूप से, पूरे भारत के बाजारों में पीली और हरी अमरुद की किस्मों का वर्चस्व रहा है। हालाँकि, काले अमरुद की व्यावसायिक खेती करने से फल बाजार में बड़ी डिमांड होने वाली है। इससे किसान वित्तीय लाभ की उम्मीद कर सकते हैं। फल की प्रभावशाली पोषण सामग्री और एंटीऑक्सीडेंट गुण न केवल प्रतिरक्षा को बढ़ावा देते हैं बल्कि उम्र बढ़ने के संकेतों से निपटने में भी मदद करते हैं।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय में व्यापक अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से अमरूद की यह नई प्रजाति विकसित की गई है। इस अभूतपूर्व कार्य ने देश भर के किसानों के लिए अपनी फसलों में विविधता लाने और ब्लैक पेरू की खेती की आशाजनक दुनिया में प्रवेश करने का मार्ग प्रशस्त किया है।