Fall Armyworm : महाराष्ट्र में पिछले कुछ सालों से मेज, ज्वार, गन्ना और कपास की फसलों में फॉल आर्मीवर्म का संक्रमण देखा जा रहा है। फॉल आर्मीवर्म कीट के संक्रमण बढ़ने से फसल का नुकसान हो रहा है। अब रबी की फसल भी बर्बाद होने का डर किसानों के मन में है। ऐसे में फॉल आर्मीवर्म पर नियंत्रण के लिए शुरू से ही उपाय लागू किये जाने चाहिए।
मादा कीट पत्तियों की निचली सतह पर 100 से 200 के समूह में 800 से 1200 अंडे देती है। यह आर्मीवर्म पत्तियों के हरे पदार्थ को खाते हैं। थोडे दिनो बाद पत्तियों और पौधों में फैल जाता है। दिलचस्प बात यह है कि ये कीट दिन के दौरान फलियों में या झुरमुटों के नीचे छिपते हैं और रात में पत्तियों को खाते हैं। मक्के के दानों पर भी लार्वा का प्रकोप देखा जाता है। एक मादा कीट 2 से 3 सप्ताह में 1,500 से 2,000 अंडे देती है।
प्रबंधन नियंत्रण :
•फसल बोने से पहले मिट्टी की गहरी जुताई करनी चाहिए। 2 से 3 कतारें देनी चाहिए। यदि आपने पिछले सीजन में मक्का लगाया है तो दोबारा न लगाएं।• बुआई से पहले 200 किलोग्राम प्रति एकड़ निम्बोली मील का उपयोग करना चाहिए।
• पिछले सीज़न की फसलों के अवशेषों का निपटान करना चाहिए।
• फसल चक्र अपनाना चाहिए और एक ही खेत में बार-बार एक ही फसल नहीं लेनी चाहिए।
• फसल के साथ मूंग या उदीद की अंतरफसल खेती। जिससे मित्र कीड़ों का संरक्षण हो सकेगा।
•मक्के की फसल के चारों ओर नेपियर घास की 3 से 4 पंक्तियाँ लगानी चाहिए। यह घास जाल फसल के रूप में कार्य करती है।
• मित्र कीटों को आकर्षित करने के लिए खेत की मेड़ पर गेंदा, धनिया, सूरजमुखी और तिल के पौधे लगाने चाहिए।
• रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से बचना चाहिए।