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Home » अब नहीं होगी फसल को पानी की कमी; किसान अपना रहे है ‘यह’ सिंचाई प्रणाली
कृषी-चर्चा

अब नहीं होगी फसल को पानी की कमी; किसान अपना रहे है ‘यह’ सिंचाई प्रणाली

IshitaPGBy IshitaPGAugust 29, 2023No Comments2 Mins Read
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किसान फसल प्रणाली में बदलाव कर उत्पादन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। यह बदलाव सफल होता दिख रहा है। दूसरी ओर फसलों को पानी देने की तकनीक भी बदल रही है। ज्यादातर किसान अपने खेतों में ड्रिप सिंचाई स्थापित कर रहे है। ड्रिप सिंचाई में प्लास्टिक ट्यूबों और ड्रिपर्स के माध्यम से फसलों की जड़ों के क्षेत्र में बूंद-बूंद करके पानी दिया जाता है। इसमें पानी मिट्टी की बजाय फसल को दिया जाता है। इसलिये पानी की बर्बादी नहीं होती और उत्पादन में वृद्धि होती है।

माइक्रो-जेट सिंचाई : इसके अंतर्गत टंकी या तालाब से पानी को पाइपों के द्वारा खेत तक ले जाते हैं। और वहां पर उन पाइपों के ऊपर नोजिल फिट कर दी जाती है।इन नोजिल सेपानी फसल में गिरता है। इस प्रकार की सिंचाई का प्रयोग फूलों एवं सब्जियों में किया जाता है।

ड्रिप इरिगेशन : इसमें छोटी प्लास्टिक की पाइप का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे पानी बूँद-बूँद के रूप में सीधा फसल की जड़ो में पहुँचता है। जहाँ पर पानी की कमी है उन स्थानों के लिए इस प्रकार की सिंचाई काफी उपयुक्त है। ड्रिप इरिगेशन का प्रयोग सब्जियों और फलों की खेती के लिए किया जाता है।ड्रिप इरिगेशन के उपयोग से फसल की उपज कई प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

सब्सर्फेस ड्रिप सिंचाई : इस प्रकार की सिंचाई के लिए जमीं के अंदर पाइप गाड दिये जाते है। जमीं के अंदर से पाइप द्वारा फसल को पानी दिया जाता है। सतह के नीचे पौधे को पानी और पोषक तत्व देते है।जड़ और पौधे के विकास को अनुकूलित करती है।

ड्रिप इरिगेशन : इसमें हर एक पौधे के पास एक ड्रिपर का इस्तेमाल किया जाता है। जो पानी के वितरण को नियंत्रित करता है। इसमें लगातार मिट्टी में नमी रहती है। इस प्रकार की सिंचाई मुख्य रूप से फूलों, उद्यानी पौधों,और पत्तेदार सब्जियों के लिए उपयुक्त है।

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