Sugarcane Crop Management : भारत में गन्ना महत्वपूर्ण फसलों में से एक है। गन्ने की रोपण से लेकर कटाई तक गन्ने की उत्पादकता वातावरण में हुए बदलावं से काफी प्रभावित होती है। चीनी की डिमांड लगातार बढ़ रही है इसलिए देश में गन्ने का वितरण इसकी उपयुक्तता के कारण होता है। महाराष्ट्र में हर साल अलग-अलग मौसम में लगभग 8 से 10 लाख हेक्टर क्षेत्र में गन्ने की खेती की जाती है। पिछले 3 से 4 साल में माहौल में अचानक आए बदलाव का असर गन्ने की फसल के साथ साथ विभिन्न फसलों पर भी पड़ा है।
गन्ने की खेती के लिए दूसरी फसलों की तुलना में अधिक मात्र में पानी की जरुरत होती है। लेकिन पिछले कुछ सालों में जुलाई-अगस्त महीने में भारी बारिश के कारण प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्र में गन्ने की खेती डूब गयी है। इससे गन्ने की फसल में कई तरह की समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं जिससे भारी नुकसान होता है। बाढ़ के कारण मिट्टी में ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। इससे पोषक तत्वों की उपलब्धता कम हो जाती है और पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं तथा फसल की बाढ़ रुक जाता है। जड़ों की कार्यक्षमता कम होने से पानी और पोषक तत्वों का शोषण ठीक से नहीं हो पाता है और फसल का भारी नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गन्ने की फसल में संभव उपाय करके नुकसान से बचा जा सकता है।
खेत से पानी निकालने के लिए ढलान के किनारे नाली बनानी चाहिए, या खेत से पम्प की मदद से पानी बाहर निकालना चाहिए।
गन्ने की फसल 8 से 10 दिनों से अधिक समय तक पानी में डूबे रहने के बाद गन्ने को हटा देना चाहिए। गन्ने की सूखी, सड़ी हुई पत्तियों को हटा देना चाहिए। इस फसल का उपयोग खाद बनाने में किया जा सकता है। उसके बाद जामीन की जुताई कर लेनी चाहिए और बारी-बारी जूट और ढैंचा जैसी हरी फसलें लगानी चाहिए। साथ ही गेहूं, चना, मक्का आदि फसलें लेनी चाहिए। उसके बाद ही गन्ने की फसल लेनी चाहिए।
बाढ़ वाले खेतों में गन्ने की अच्छी वृद्धि के लिए 60 किलोग्राम नाइट्रोजन (130 किलोग्राम यूरिया), 40 किलोग्राम पलाश (म्यूरेट ऑफ पोटाश 66 किलोग्राम) औरवीएसआई द्वारा निर्मित माइक्रोसोल का उपयोग 12.5 किलोग्राम के रूप में किया जाना चाहिए।
20 ग्राम डीएपी ,10 ग्राम यूरिया, 5 ग्राम पलाश प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। इससे फसल की वृद्धि पर अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है। यदि इनमें से कुछ उपाय अपनाए जाएं तो बाढ़ प्रभावित गन्ने की फसल फिर से अच्छी हो जाएगी और उपज में ज्यादा कमी नहीं आएगी।