Summer Groundnut Crop : मूंगफली एक प्रमुख तिलहनी फसल है। महाराष्ट्र में इसकी खेती बहुत ज्यादा देखने को मिलती है। मूंगफली की खेती ख़रीफ़ सीज़न यानी मानसून और गर्मियों में की जाती है। गर्मियों में स्वच्छ सूर्य का प्रकाश मिलने के कारण रोग एवं कीड़ों की समस्या कम होती है। यदि सिंचाई व्यवस्था ठीक से नियोजित की जाए तो अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। ख़रीफ़ सीज़न में मूंगफली को मिश्रित फसल जैसे तिल, बाजरी, मूंग, लोबिया आदि के रूप में लेने से अच्छा लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
यदि गर्मी के मौसम में मूंगफली की बुआई करनी हो तो इस फसल की बुआई 15 जनवरी से 15 फरवरी तक एक माह की अवधि के भीतर पूरी कर लेनी चाहिए। यदि इस अवधि में ग्रीष्मकालीन मूंगफली की बुआई पूरी कर ली जाए तो रिकॉर्ड पैदावार प्राप्त की जा सकती है। मूंगफली की बुआई करते समय रात का न्यूनतम तापमान 18°c तक होना चाहिए। यदि मूंगफली की बुआई में देरी की जाती है, तो उत्पादन में कमी होने का डर रहता है, इसलिए किसानों के लिए समय पर मूंगफली की बुआई करना फायदेमंद है।
मूंगफली की बुआई करते समय बीज की मात्रा बीज के आकार के अनुसार बदलती रहती है। छोटे आकार के बीज के मामले में 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए। मध्यम आकार के दानों के मामले में 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का प्रयोग करना चाहिए। यदि टपोर के बीज हैं तो 150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज का प्रयोग करना चाहिए। बुआई करते समय दो पंक्तियों के बीच की दूरी 30 सेमी तथा दो पौधों के बीच की दूरी 10 सेमी होनी चाहिए।
गुणवत्ता में सुधार के लिए बुआई के 3 से 4 दिन बाद हल्का पानी दें। मिट्टी के प्रकार के आधार पर 8 से 10 दिनों के बाद पानी देना चाहिए। फसल के फूल आने तक पानी की कमी बहुत जरूरी है।